Eidi shayari

eidi shayari का बेहतरीन कलेक्शन आप लोगों को जरूर पसंद आएगा हमने इस पोस्ट में ही थी शायरी का एक बढ़िया से बढ़िया कलेक्शन को कलेक्ट कर के आप लोगों के सामने पेश कर रहे हैं ताकि आप इस त्यौहार पर आपने साथियों को अपने परिवारों को अपने जानने वाले को ईद के इस त्योहार पर shayari भेज सकते हैं और उन्हें ईद की शुभकामनाएं दे सकते हैं.और एक उन्हें अपने लिए अच्छी पॉजिटिव रिश्ता दर्शा सकते हैं.

इस त्यौहार पर हर कोई बहुत खुश होता है और इस दिन घर में सब नए नए कपड़े पहनते हैं अच्छे-अच्छे पकवान बनते हैं. आस-पड़ोस के लोग रिश्तेदार मिलने जुलने आते हैं. एक दूसरे का सब स्वागत करते हैं कुछ गिफ्ट के द्वारा और पकवान मिलजुल कर सब खाते हैं, तो आप यहां से shayari को कॉपी करके शुभकामनाएं भेज सकते हैं.

eidi shayari

ईद का चाँद तुम ने देख लिया
चाँद की ईद हो गई होगी

फ़क़त दो-चार ईदें और बढ़ा दे साल में या रब
गले बाबा के लगने को बहाने चाहता हूँ मैं

बचपन में मिलते थे पूरे रमजान,
अम्मी की दी सेहरी से करते थे शुरूआत,
धूम धड़का होता था दोस्तों के साथ,
आज भी याद हैं ईद की वो हर इक रात.

आओ यारो इस ईद
पर गिले-शिकवे मिटा दो
कुछ इस अंदाज में
इस बार की ईद मना लो..!!

चुपके से चाँद की रौशनी छू जाए आपको,
धीरे से ये हवा कुछ कह जाए आपको,
दिल से जो चाहते हो माँग लो ख़ुदा से,
हम दुआ करते हैं मिल जाय वो आपको.
हैप्पी ईद मुबारक

देखा ईद का चाँद तो मांगी ये दुआ रब से
देदे तेरा साथ ईद का तोहफा समझ कर
ईद मुबारक

दामन में आपके सदा हँसते हुए फूल हो,
आपके चारों तरफ़ ख़ुशियों के गीत हो,
इसी उम्मीद के साथ आपको “मुबारक ईद” हो.

कोई इतना चाहे तुम्हें तो बताना
कोई तुम्हारे इतने नाज़ उठाए तो बताना
ईद मुबारक तो हर कोई कह देगा तुमसे
कोई हमारी तरह कहे तो बताना

महक उठी है फ़ज़ा पैरहन की ख़ुश्बू से
चमन दिलों का खिलाने को ईद आई है.

चाँद की रौशनी छू रही है अब तो,
चाँद रात मुबारक़ हो सब को।

चुपके से चांद की रोशनी छू जाए आपको
धीरे से ये हवा कुछ कह जाए आपको
दिल से जो चाहते हो मांग लो खुदा से

हर ख्वाहिश हो मंजूर-ए-खुदा,
मिले हर कदम पर रजा-ए-खुदा
फना हो लब्ज-ए-गम यही है दुआ,
बरसती रहे सदा रहमत-ए-खुदा
ईद मुबारक!

अगर हयात है देखेंगे एक दिन दीदार
कि माह-ए-ईद भी आख़िर है इन महीनों में
– मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

अच्छा हमें सिवय्याँ मिल-जुल के तुम खिलाओ
हम ने तुम्हारे पैसे इस ईद से बढ़ाए

अब ईद भी मना रहे हैं काफ़िलो में लोग
किसने मेरी भी कौम में अंगार छोड़ दी

उससे मिलना तो उसे ईद मुबारक़ कहना,
और ये भी कहना कि मेरी ईद मुबारक़ करदे !

तमन्ना आपकी सभी पूरी हो जाएं
हो आपका मुक्कदर इतना रोशन कि
आमीन कहने से पहले ही आपकी हर दुआ मंजूर हो जाए
ईद मुबारक

तेरे इख़्तियार में क्या नहीं, मुझे इस तरह से नवाज़ दे
यूँ दुआयें मेरी क़ुबूल हों, मेरे दिल में कोई दुआ न हो

रहमतो के बाद ये शमा आया है,
आसमान से चलकर चाँद खुद आया है,
ईद मुबारक़ हो मेरी तरफ से आपको,
ख़ुशी का माहौल हर दिल मे समाया है।

माह-ए-नौ देखने तुम छत पे न जाना हरगिज़
शहर में ईद की तारीख़ बदल जाएगी

महक उठी है फ़िज़ा पैरहन की ख़ुश्बू से
चमन दिलों का खिलाने को ईद आई है
दिलों में प्यार जगाने को ईद आई है
हँसो कि हँसने हँसाने को ईद आई है

कायम रहे ख़ुदा पे वो ईमान मुबारक,
ईमान मुकम्मल हो ये अरमान मुबारक,
दिल-जिस्म-रूह पाक रहे दौर-ए-ईबादत,
अल्लाह के बंदो को हो ईद मुबारक.

एक वो चाँद है जो सब देख रहे हैं,
एक मेरा चाँद है जिसको देखूँ तो मेरी ईद हो
ईद मुबारक

दुआ है हमारी आपके लिए
ये पैग़ाम भी है आपके लिए,
ईद पर तुम्हारी राह देख रहे हैं
इस बार की ईदी आपके लिए

समंदर को उसका किनारा मुबारक,
चांद को सितारा मुबारक,
फूलों को उसकी खुशबू मुबारक,
दिल को उसका दिलदार मुबारक,
आपको ईद का त्योहार मुबारक !

मिल के होती थी ईद भी दिवाली भी
अब ये हालत है कि डर-डर के गले मिलते हैं

ईद का त्योहार आया है,
खुशियां अपने संग लाया है,
खुदा ने दुनिया को महकाया है,
देखो फिर से ईद का त्योहार आया है,

अब हिन्द की असली ईद हुई जो आज़ादी की दीद हुई
पढ़ पढ़ के नमाज़-ए-आज़ादी अब रूठे हुओं को मना डालें

आसमान से चलकर चाँद आया है,
खुशी का माहौल हर दिल मे समाया है
मुद्दत के बाद ईद का दिन आया है
ईद मुबारक

अर्ज़ किया है…ज़रा गौर फरमाइएगा
उनको देखूं तो टूटे मेरा रोजा
उनको देखूं तो टूटे मेरा रोज़ा
चांद को देखे बिना भी ईद होती है कभी.

ऐ रूठे हुवे दोस्त मुझे इतना बता दे, क्या मुझ से गले मिलने का अब मन नहीं होता, बच्चों की तरह दौड़ के आ सीने से लग जा, ये ईद का दिन है कोई दुश्मन नहीं होता.

अहबाब पूछते हैं बड़ी सादगी के साथ
तू अब के साल ईद मनाएगा किस तरह

चलो कि रोते हुओं को हँसा के ईद मनाएँ
किसी के दर्द को अपना बना के ईद मनाएँ
ईद मुबारक

दुआ करो अमन ओर
शांति बनी रहे जहान में
इस बार की ईद मनाये
सिर्फ इंसानियत की ईमान में.!!

ऐ चांद उनको मेरा ये पैगाम देना
खुशी का दिन और हंसी की शाम कहना
जब देखें वो तुझे तो,
मेरी तरफ से उनको ईद मुबारक कहना

फ़लक पे चाँद सितारे निकलते हैं हर शब
सितम यही है निकलता नहीं हमारा चाँद

ऐ हवा तू ही उसे ईद-मुबारक कहियो
और कहियो कि कोई याद किया करता है

आओ घर मेरे चल के मुक़द्दस ईद का दिन है
भुला दो सब गिले शिकवे मुक़द्दस ईद का दिन है

आज यारों को मुबारक हो कि सुब्ह-ए-ईद है
राग है, मय है, चमन है, दिलरुबा है, दीद है

मुकद्दर रोशन रहे आपका,
दुआ कुबूल हो आमीन कहने से पहले,
चाँद रात भी मुबारक हो ईद से पहले।

वादों ही पे हर रोज़ मिरी जान न टालो
है ईद का दिन अब तो गले हम को लगा लो

ऐ रूठे हुवे दोस्त मुझे इतना बता दे, क्या मुझ से गले मिलने का अब मन नहीं होता, बच्चों की तरह दौड़ के आ सीने से लग जा, ये ईद का दिन है कोई दुश्मन नहीं होता.

दुआ करो कि अमन ओर
खुशहाली बनी रहे जहां में
ये ईद मनाए इंसानियत के नाम में.!!

आज से पहले तो ऐसा न खिला ईद का चाँद
ज़ख़्म के फूल, लहू संज फ़ज़ा, ईद का चाँद

जिंदगी का सफर बड़ा हसीन लगता है
ये ईद का त्योहार बड़ा ही रंगीन लगता है..!

शहर ख़ाली है किसे ईद मुबारक कहिए
चल दिए छोड़ के मक्का भी मदीना वाले

करता रहे जमाना
फलक से चांद की दीद
अपनी तो उनसे गले
मिलकर ही होगी ईद..!

वैसे एक शिकवा था तुमसे
अच्छा छोडो, “ईद मुबारक”

करता रहे जमाना
फलक से चांद की दीद
अपनी तो उनसे गले
मिलकर ही होगी ईद..!

ऐ खुदा ये कैसी मजबूरी
हो गई है आई है ईद और
मस्जिदों से दूरी हो गई है..!

एक वो चाँद है जो सब देख रहे हैं,
एक मेरा चाँद है जिसको देखूँ तो मेरी ईद हो।
आओ मेरे चाँद ईद का चाँद देखते हैं।

आसमा में चांद क्या
खूब खिल रहा है
दिलों का हुजूम इस
ईद पर गले मिल रहा है..!

महीनों से लोगो को चाँद का इंतज़ार था,
और मुझे आपका इंतजार था,
कह देता हूँ अब ईद मुबारक,
वो लम्हा आ गया जिसका इंतज़ार था।

आलिम बनाओ बच्चो को तरबियत नेक दो
ऐसा लगे के रोज़ रोज़ जश्ने ईद है

खुशियां ज़िन्दगी में भरपूर आए आपकी,
हर लम्हा ज़िन्दगी नूर कर जाए आपकी,
मेरी तरफ से आपको ईद मुबारक़,
ख़्वाहिश है एक दीद हो जाए आपकी।

ऐ रूठे हुवे दोस्त मुझे इतना बता दे, क्या मुझ से गले मिलने का अब मन नहीं होता, बच्चों की तरह दौड़ के आ सीने से लग जा, ये ईद का दिन है कोई दुश्मन नहीं होता.

तुझ को मेरी न मुझे तेरी खबर जाएगी
ईद अब के भी दबे पांव गुजर जाएगी!

मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगता क्या करूं

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