मतलबी पैसे की दुनिया: दिल और जेब के बीच की जंग
आज के समय में अगर किसी एक चीज़ ने रिश्तों, भावनाओं और मानवीयता को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है—तो वो है “पैसा”। पैसा ज़रूरी है, इसमें कोई दो राय नहीं। लेकिन जब पैसा ज़रूरत से ज़्यादा अहमियत लेने लगे, और रिश्तों से ऊपर हो जाए, तो यही पैसा इंसान को मतलबी बना देता है। दुनिया आज इतनी बदल चुकी है कि जहाँ पहले इंसान इंसान के लिए जीता था, आज वहाँ इंसान पैसा कमाने के लिए इंसानियत से समझौता कर रहा है। “Matlabi Paise ki Duniya Hai Shayari”

मतलबी दुनियाँ पैसे की
हमने पैसों से इन्हें आज़माया है
सब साथ छोड़ गए तब से
जब से खुद को गरीब बताया है।
Matlabi duniya paise dekh kar
Aapke aage peeche chalti hai
Agar jaib khali jo aapki toh
Aapse doori bana kar rakhti hai
मतलबी दुनियाँ पैसे देख कर
आपके आगे पीछे चलती है
गर जेब खाली हो आपकी तो
आपसे दूरी बना कर चलती है।
Matlabi duniya paise ki
Humne paiso se inhe azmaya hai
Sab sath chhod gaye tab se
Jab se khud ko gareeb bataya hai
मतलबी दुनिया सारी और लोग भी
समझ नहीं आता किस पर भरोसा करें।

Matlabi duniya saari aur log bhi
Samjh nahi aata kis par bharosa kare
जब तक पैसा है तेरे पास
तब तक मतलबी लोगों का है तू खास।
Jab tak paisa tere paas hai
Tab tak matlabi logo ka tu baap hai
मतलबी दुनियाँ पैसे देख कर
आपके आगे पीछे चलती है
गर जेब खाली हो आपकी तो
आपसे दूरी बना कर चलती है।
Matlabi duniya paise dekh kar
Aapke aage peeche chalti hai
Agar jaib khali jo aapki toh
Aapse doori bana kar rakhti hai
Matlabi duniya paise ki
Humne paiso se inhe azmaya hai
Sab sath chhod gaye tab se
Jab se khud ko gareeb bataya hai

मतलब निकल जाने पर सब छोड़ देते हैं
झूठे वादे करके फिर उन्हें तोड़ देते हैं।।
Matlab nikal jane par sab chhod dete hai
Jhoothe vaade karke fir unhe todd dete hai
अंधा प्यार तो एक ज़माने में हुआ करता था
आजकल तो प्यार पैसा देख कर होता है।।
Andha pyar toh ek zamane me hua karta tha
Aajkal toh pyar paisa dekh kar hota hai

मतलबी पैसे की दुनिया है सबको समझा रहा हूँ
मुझे पता चल गया इसलिए आपको भी बता रहा हूं।
Matlabi paise ki duniya hai sabko samjha raha hu
Mujhe pata chal gaya isliye aapko bhi bata raha hu
जिसे हम समझते थे कि हमारा यार है
वो तो निकला मतलबी और गद्दार है।
रिश्तों की कीमत पैसे से तय होती है
आजकल किसी का हालचाल पूछने वाले लोग भी सोचते हैं कि इससे मुझे क्या फायदा मिलेगा? दोस्ती, प्यार, भाईचारा, सब कुछ एक “Return on Investment” बन चुका है। अगर आपके पास पैसा है तो रिश्तेदार, दोस्त, जान-पहचान वाले हर कोई आपके आस-पास रहेगा। लेकिन जैसे ही जेब खाली होती है, लोग खुद को व्यस्त बताने लगते हैं।
एक ज़माना था जब लोग दिल से रिश्ते निभाते थे। आज वो ज़माना पैसे की चमक में खो गया है। अब लोग दिल नहीं, बैंक बैलेंस देखते हैं। कौन कितना कमा रहा है, किसके पास कौन-सी गाड़ी है, किसके घर में एसी है—इन सब बातों से इंसान की ‘वैल्यू’ तय होती है। दुख की बात ये है कि अब ‘कद’ से ज्यादा ‘खर्च’ को अहमियत दी जाती है।
पैसे की भूख और इंसानियत की मौत
ध्यान से देखिए, ज़्यादातर समस्याओं की जड़ पैसा ही है। रिश्ता हो, व्यापार हो, राजनीति हो या दोस्ती—हर जगह जब पैसा हावी हो जाता है, तो सच्चाई, नैतिकता और भावनाएं दम तोड़ देती हैं।
पैसे के लिए भाई-भाई का दुश्मन बन जाता है, बेटा माँ-बाप को वृद्धाश्रम भेज देता है, और दोस्त धोखा दे देता है। पैसा कमाने की इस अंधी दौड़ में इंसान खुद से ही दूर हो गया है। उसे ये समझ नहीं आता कि दौलत जमा करने की होड़ में वो अपना सुकून, अपने लोग और अपनी असली खुशी खो बैठा है।

मतलब के रिश्ते और नकली मुस्कान
किसी ने बहुत सही कहा है—”मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं।” आजकल के रिश्ते बस सोशल मीडिया के लाइक और स्टेटस तक सीमित हैं। जो लोग कभी आपके हर दर्द में साथ थे, वही तब गायब हो जाते हैं जब आप टूटने लगते हो। ये दुनिया हँसते हुए चेहरे को पसंद करती है, चाहे वो नकली ही क्यों न हो। दुख और सच की यहाँ कोई जगह नहीं।
हर व्यक्ति अपने स्वार्थ में उलझा है। मदद वही करता है जिसे अपने भविष्य का फायदा दिखता है। बिना स्वार्थ के सहायता अब एक दुर्लभ गुण बन चुकी है। आज के समाज में कोई किसी की मदद करता है तो बदले में उम्मीद करता है कि कल को वो इंसान भी कुछ दे।
क्या पैसे के बिना कुछ नहीं?
सवाल उठता है—क्या पैसा ही सब कुछ है? जवाब है नहीं। पैसा ज़रूरी है लेकिन सर्वोपरि नहीं। जो इंसान सिर्फ पैसे से खुश रहना चाहता है, वो कभी संतुष्ट नहीं हो सकता। क्योंकि पैसे की भूख कभी खत्म नहीं होती। एक बार अगर पैसे के पीछे भागना शुरू कर दिया, तो जीवन की असली खुशियाँ पीछे छूट जाती हैं।
सच्चे रिश्ते, सच्ची मुस्कान, और दिल से मिला हुआ साथ—इनकी कोई कीमत नहीं होती, और न ही कोई विकल्प। लेकिन अफसोस कि ज़्यादातर लोग तब समझते हैं जब बहुत देर हो चुकी होती है।
शायरी के शब्दों में ज़िंदगी की सच्चाई
यही भावनाएँ जब शायरी में ढलती हैं, तो दिल को छू लेती हैं:
“जब तक जेब में दम था, सब सलाम करते थे,
खाली जेब देखी तो नजरें फेर लीं।
रिश्तों की हकीकत तब समझ आई,
जब मतलब निकलने पर सबने दूरी बना ली।”
शायरी का कमाल यही है कि वो कुछ पंक्तियों में पूरी ज़िंदगी की कहानी कह देती है। और ऐसी मतलबी दुनिया में जब किसी का सच्चा व्यवहार दिखता है, तो वो किसी चमत्कार से कम नहीं लगता।
समापन विचार: अपने दिल की सुनिए
मतलबी दुनिया से घबराना नहीं चाहिए, लेकिन उसमें खो जाना भी ठीक नहीं। खुद को पहचानिए, अपने मूल्यों से समझौता मत कीजिए। पैसा कमाइए, लेकिन पैसे को रिश्तों से ऊपर मत रखिए। मतलबी लोगों को पहचानना सीखिए, और ऐसे लोगों से दूरी बनाइए जो सिर्फ अपने फायदे के लिए आपके पास आते हैं।
सबसे जरूरी बात—अपने पास उन लोगों को रखिए जो बिना किसी स्वार्थ के आपकी कदर करते हैं। क्योंकि असली दौलत बैंक में नहीं, दिल में होती है।
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